dinesh chouhan - newsindianow https://newsindianow.co.in News Website Thu, 16 May 2024 06:40:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://newsindianow.co.in/wp-content/uploads/2021/06/cropped-png-news-32x32.png dinesh chouhan - newsindianow https://newsindianow.co.in 32 32 हिन्दू मंदिरो के दान का पैसा हिंदू समाज की शिक्षा, स्वास्थ्य,संस्कार,संपर्क एवं संस्कृति की रक्षा के लिए हो खर्च-दिनेश चौहान https://newsindianow.co.in/?p=8688 https://newsindianow.co.in/?p=8688#respond Thu, 16 May 2024 06:40:08 +0000 https://newsindianow.co.in/?p=8688 जालंधर(राजीव धामी): किसी भी मंदिर उसके धन प्रशासन अथवा पूजा-पद्धति पर सरकारों का कोई अधिकार नहीं है।मंदिरों का धन सिर्फ इनके रखरखाव पारिश्रमिक उनसे जुड़ी आधारभूत संरचनाओं और सुविधाओं पर खर्च होना चाहिए।जो धन बच जाए वह पुराने मंदिरों की मरम्मत पर खर्च होना चाहिए।यह बात शिव सेना बाला साहिब ठाकरे शिंदे ग्रुप के जिला …

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जालंधर(राजीव धामी): किसी भी मंदिर उसके धन प्रशासन अथवा पूजा-पद्धति पर सरकारों का कोई अधिकार नहीं है।मंदिरों का धन सिर्फ इनके रखरखाव पारिश्रमिक उनसे जुड़ी आधारभूत संरचनाओं और सुविधाओं पर खर्च होना चाहिए।जो धन बच जाए वह पुराने मंदिरों की मरम्मत पर खर्च होना चाहिए।यह बात शिव सेना बाला साहिब ठाकरे शिंदे ग्रुप के जिला जालंधर प्रधान दिनेश चौहान ने गुरूवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में अखिल भारतीय संत समिति ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारत में मंदिरों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकृष्ट किया था।

लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया।देश के किसी भी मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारा प्रबंधन परिषद पर सरकारी आधिपत्य नहीं है,बल्कि उसी समाज के मतावलंबियों का स्वतंत्र प्रबंधन तंत्र है।इसके बाद भी भारत में जितने भी प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं,उन सभी के प्रबंधन पर येन-केन-प्रकारेण सरकारी तंत्र का कब्जा है।यह असंवैधानिक है।

सनातन मतावलंबी अपने हिंदू मंदिरों में दान इसलिए नहीं करता,क्योंकि उसे लगता है कि यह धन अन्य किसी के काम आएगा।वह हजारों-हजार वर्ष से अपने मंदिरों में अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा इसलिए दान करता रहा,ताकि उससे हिंदू समाज की शिक्षा,स्वास्थ्य,संस्कार, संपर्क एवं संस्कृति की रक्षा हो सके,परंतु सरकारी ट्रस्टों के अधीन हिंदू मंदिर अपनी दुर्दशा के आंसू रो रहे हैं।इसका एकमात्र कारण मंदिरों के अंदर गैर धार्मिक,राजनीतिक व्यक्तियों का ट्रस्टी के रूप में सरकारों द्वारा मनोनयन है। इससे हिंदू संस्कृति को क्षति पहुंच रही है।उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 में दक्षिण भारत के एक मंदिर के प्रबंधन को लेकर दायर एक याचिका में यह निर्णय दिया गया कि मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा प्रबंधन किसी सेक्युलर सरकार का काम नहीं है।यह उस आस्थावान समाज का काम है, जो अपने पूजास्थलों के प्रति श्रद्धा रखता है और दानस्वरूप धन खर्च करता है।वही समाज अपने पूजास्थलों का संरक्षण एवं प्रबंधन करेगा।

दिनेश चौहान ने कहा मुगलों के शासनकाल में ध्वंस किए गए मंदिर हिंदू सभ्यता को नष्ट करने का दुस्साहसिक प्रयास थे।इसको अंग्रेजों ने बौद्धिक रूप से कानूनों के मकड़जाल के रूप में आगे बढ़ाया और उसे पल्लवित और पुष्पित कांग्रेस सरकार ने किया।इस परंपरा को वामपंथी आगे बढ़ा रहे हैं।हिंदू मंदिरों, संस्कारों,विश्वास,आस्था, ग्रामीण-परिवेश की श्रद्धा का विरोध अंधविश्वास के नाम पर करने वाले वामपंथी चंगाई सभाओं पर मौन साध लेते हैं।

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