कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई, गृह मंत्री ज्ञानेंद्र, अध्यक्ष कागेरी के खिलाफ शिकायत दर्ज | Complaint filed against Karnataka Chief Minister Bommai, Home Minister Gyanendra, President Kageri
डिजिटल डेस्क, रायचुर । मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र, अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और सभी भाजपा विधायकों के खिलाफ कर्नाटक विधानसभा में विवादास्पद विधेयक (धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा) पेश करने की वजह से एक शिकायत दर्ज की गई है।
धर्मांतरण विरोधी के नाम से मशहूर कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के विवादास्पद विधेयक, 2021 को पेश करने के संबंध में सोमवार को यह शिकायत रायचूर जिले के लिंगसुगुर पुलिस थाने में एक सामाजिक कार्यकर्ता आर मनैया ने दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में सभी प्रदेश भाजपा नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक को पेश करते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को खराब तरीके से पेश किया गया है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक ने इन समुदायों के लोगों को आवारा, भिखारी के रूप में पेश किया है और उन्हें पैसे, कपड़े, प्रलोभन और दान के कृत्यों के लालच में अन्य धर्मों में परिवर्तित होने वाले लोगों के रूप में चित्रित किया है। शिकायत में हाल ही में विधानसभा सत्र में पेश किए गए कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण विधेयक में विशेष समुदायों को खराब स्थिति में चित्रित करने के लिए इस पृष्ठभूमि में कार्रवाई की मांग की गई है।
जब राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र द्वारा विधेयक पेश किया गया, तो सभी भाजपा विधायकों ने सदन में विधेयक का स्वागत करते हुए विधानसभा में इसका स्वागत किया । शिकायतकर्ता ने मांग की है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए। शिकायतकर्ता ने इन सभी के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।
विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक को हाल ही में समाप्त हुए बेलगावी शीतकालीन सत्र में 23 दिसंबर को विधानसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था। विधेयक को अभी परिषद में पेश किया जाना बाकी है। कानून मंत्री मधु स्वामी ने कहा है कि सरकार के पास 2022 के जनवरी या फरवरी में होने वाले अगले विधानमंडल सत्र के दौरान परिषद में विधेयक को पारित कराने का विकल्प है। सत्र में देरी होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने का विकल्प होगा।
सरकार लंबित विधेयक का अध्यादेश ला सकती है यदि इसे दोनों सदनों में से किसी एक में खारिज नहीं किया जाता है। लेकिन, इसे अध्यादेश जारी करने के बाद तत्काल अगले सत्र में विधेयक के लिए विधायिका की मंजूरी मिलनी चाहिए। इस बीच कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह अध्यादेश की घोषणा के बाद भी विधेयक को हराने के लिए जो कुछ भी कर सकती है, वह करेगी। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह सत्ता में आते ही विधेयक को निरस्त कर देगी।
(आईएएनएस)