किसानों का दिल्ली चलो आंदोलन राजनीति से प्रेरित-तिवारी।

किसानों के आंदोलन को सामने रखकर कुछ लोग माहौल बिगाड़ने की कर रहे कोशिश-शिव सेना हिन्दू टकसाली
जालंधर(राजीव धामी):किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन राजनीति से प्रेरित बताते हुए शिव सेना हिन्दू टकसाली के जिला प्रधान दीपक तिवारी ने कहा कि किसानों को उनके उत्पादों का लागत आधारित लाभकारी मूल्य मिलने चाहिए,लेकिन किसानों के नाम पर चुनावों को देखते हुए राजनीतिक पैंतरेबाजी कर पंजाब की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाना गलत है।
तिवारी ने कहा कि जब चुनावों के समय राजनीतिक इरादों’ से किसानों के नाम पर आंदोलन शुरू किया जाता है तो इसके बाद हिंसा,अराजक माहौल पैदा होता है और राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान होता है।उन्होंने कहा कि इस तरह के आंदोलनों से किसानों के लिए नकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं और जो किसान अपनी बेहतरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं,उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि शिव सेना हिन्दू टकसाली हिंसक प्रदर्शन का समर्थन नहीं करती।हम आग्रह करते हैं, जो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं वे करते रहें, लेकिन समाज में किसानों के लिए उन्हें नकारात्मक भावनाएं नहीं पैदा करनी चाहिए।तिवारी ने कहा किसानों की आड़ में देश विरोधी तत्व अपने मंसूबों को अंजाम देने के प्रयास में जुटे हुए हैं।यही नहीं कुछ कट्टरपंथी संगठनों के लोग भीड़ का फायदा उठाकर खालिस्तान आंदोलन की मुहिम को भी हवा दे रहे हैं।

उन्होंने ने कहा किसानों के आंदोलन को सामने रखकर ये लोग माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं।उन्होंने कहा किसानों का पहला प्रदर्शन भी देश के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना था।अब एक बार फिर दिल्ली के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी गई है और किसानों के दिल्ली कूच ने एक बार फिर दिल्ली को बंधक बना दिया है।उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है,इसके सभी प्रवेश मार्ग सुरक्षा कारणों से बंद कर देने या इसके प्रवेश मार्गों पर किसी बड़े समूह द्वारा धरना देने से न सिर्फ क्षेत्र में लोगों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है,बल्कि वैश्विक स्तर पर देश की छवि भी खराब होती है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन के कारण उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और इनमें काम करने वाले श्रमिक अस्थायी रूप से बेरोजगार हो जाते हैं।यही नहीं,दुग्ध व सब्जी उत्पादकों को अपना उत्पाद बेचने में समस्या आती है तो आवश्यक वस्तुओं की कमी हो जाने से उन वस्तुओं के मूल्य भी बढ़ जाते हैं।देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभावों के अलावा ऐसे विरोध प्रदर्शनों से स्थानीय लोगों में सामाजिक अव्यवस्था और मानसिक तनाव पैदा होता है।रोजमर्रा की जिंदगी में अशांति और प्रदर्शन की वजह से लोगों में चिंता और तनाव का स्तर बढ़ जाता है।
