जालंधर पुलिस प्रशासन के पत्रकार विरोधी रवैया से पत्रकार भाईचारे में रोज।
जालंधर(राजीव धामी): जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि भारत में मीडिया को देश का चौथा स्तंभ माना जाता है परंतु आज इस चौथे स्तंभ को कहीं ना कहीं राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव से दबाने की कोशिश की जा रही है। अगर बात करें जालंधर शहर की तो जालंधर शहर को पूरे देश में मीडिया का गढ़ माना जाता है परंतु आज इसी गढ़ को उखाड़ने के लिए कहीं ना कहीं राजनीतिक दबाव तथा पुलिस प्रशासन की कूट नीतियों का शिकार होना पड़ रहा है क्योंकि हाल ही में जालंधर शहर में जालंधर पुलिस प्रशासन द्वारा पत्रकारों के खिलाफ झूठ मुकदमे दर्ज किया जा रहे हैं जिसके चलते जिले के पत्रकार भाईचारे में जालंधर पुलिस प्रशासन के प्रति भारी रोष देखने को मिल रहा है।
क्या पुलिस प्रशासन जिले के पत्रकारों से इतना डर गया है की अपनी कमियां छुपाने की बजाए पत्रकारों पर ही झूठे मुकदमे दर्ज करके आम जनता की आवाज को ही दबाना शुरू कर दिया है। सूत्रों से यह जानकारी भी प्राप्त हुई है कि पुलिस प्रशासन के हौसले बिना राजनीतिक दखलंदाजी के नहीं खुल सकते कि जो पत्रकार आम जनता की आवाज बनता है आज उसी की आवाज को आम आदमी पार्टी की सरकार में पुलिस प्रशासन द्वारा तानाशाही रवैया से दबाया जा रहा है पत्रकारों का तो इतना कहना है कि मौजूदा सरकार का रवाइया पत्रकारों के प्रति किसी हिटलर से काम नहीं है।
वही शहर की कई अलग-अलग संस्थानों ने यह मन बनाया है कि अब उन्हें एक मंच पर एकजुट होने की जरूरत आन पड़ी है क्योंकि पुलिस द्वारा और मौजूदा सरकार द्वारा पत्रकारों के प्रति हिटलर जैसा रवैया कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा आने वाले समय में जल्द ही एक भव्य मीटिंग का आयोजन किया जाएगा जिसमें पुलिस प्रशासन के प्रति एक रणनीति बनाई जाएगी की आने वाले समय में अगर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा किसी राजनीतिक दबाव में किसी भी पत्रकार पर अवैध रूप से कोई मामला दर्ज किया गया तो उसका जवाब बराबरी से कैसे दिया जाए।