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पुलिस और खूफिया स्तर पर भी काम कर चुके हैं CBI के नए मुखिया

सुबोध जायसवाल बने सीबीआई के निदेशक (फाइल फोटो)

सुबोध जायसवाल बने सीबीआई के निदेशक (फाइल फोटो)

New CBI Chief Subodh Jaiswal: सुबोध जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के महाराष्ट्र (Maharashtra) कैडर के अधिकारी हैं. साल 2018 में उन्हें महाराष्ट्र के तब मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी के लिए चुना था.

नई दिल्ली. सुबोध जायसवाल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए प्रमुख बनाए गए हैं. हालांकि, सीबीआई जैसी शीर्ष जांच संस्था के प्रमुख बनने से पहले जायसवाल ने कई पुलिस, जासूसी और सुरक्षा के स्तर पर भी कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं. इससे पहले साल 2021 की शुरुआत में उन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की कमान सौंपी गई थी. इस दौरान वे जवानों की क्षमताओं में इजाफा करना चाहते थे. हालांकि, थोड़ा ही समय निकला और उन्हें सीबीआई संभालने के लिए कहा गया. जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के महाराष्ट्र कैडर के अधिकारी हैं. साल 2018 में उन्हें महाराष्ट्र के तब मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी के लिए चुना था. उन्होंने इस पद पर जून 2018 से लेकर फरवरी 2019 तक काम किया. हालांकि, सेंट्रल डेप्युटेशन पर बुलाए जाने से पहले उन्हें राज्य का डीजीपी बनाया गया था. यह भी पढ़ें: सुबोध कुमार जायसवाल बने सीबीआई के नए डायरेक्टर, जानिए कौन हैं जायसवाल ने खूफिया स्तर पर भी काफी काम किया है. वे करीब एक दशक तक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ रहे. उन्हें अभी तक सीबीआई का कोई अनुभव नहीं है. हालांकि, उन्होंने सीबीआई के हाथों में दिए जाने से पहले मशहूर तेलगी कांड की जांच की थी. इसके बाद वे स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स के मुखिया भी बने. बाद में उन्होंने महाराष्ट्र एंटी-टैरेरिज्म स्क्वॉड में शामिल किया गया.

साल 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के दौरान जायसवाल महाराष्ट्र इंटेलिजेंस ब्यूरो की कमान संभाल रहे थे. इस मामले को सुलझाने में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही. उन्होंने इस घटना के बाद अमेरिकी एजेंसियों के साथ करीब से काम किया. वहीं, NIA को सौंपे जाने से पहले उनकी ही निगरानी में एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा मामलों की जांच की गई थी. जायसवाल को दो साल के लिए सीबीआई प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनकी नियुक्ति से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रामन्ना और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच कई बार बैठकें हुई थी.





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