राष्ट्रीय

वुहान की लैब में ही बनाया गया कोरोना वायरस? भारत के तीन वैज्ञानिकों के कारण चीन पर घूमी शक की सूई

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक वुहान लैब की तरफ इशारा कर रहे हैं. (फाइल)

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक वुहान लैब की तरफ इशारा कर रहे हैं. (फाइल)

Coronavirus: कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर सवाल उठता है कि वैज्ञानिक आखिर कैसे वुहान की लैब की तरफ इशारा कर रहे हैं. ये कहानी बेहद दिलचप्स है. खास बात ये है कि इस सबसे बड़े दावे में भारत के तीन वैज्ञानिकों का भी बेहद अहम रोल रहा है.

नई दिल्ली. दुनियाभर में पिछले करीब 20 महीनों से कोरोना वायरस (Coronavirus origin) ने तबाही मचा रखी है. इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 37 लाख लोगों की मौत हुई है. जबकि 17 करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. कोराना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी. ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बहस में जुटे हैं कि क्या इस वायरस को लैब में तैयार किया गया? वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि वायरस को वुहान की लैब में ही बनाया गया. लिहाज़ा इसको लेकर अमेरिका का भी शक गहरा गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं.

सवाल उठता है कि आखिर कैसे वैज्ञानिक वुहान की लैब की तरफ इशारा कर रहे हैं. ये कहानी बेहद दिलचप्स है. खास बात ये है कि इस सबसे बड़े दावे में भारत के तीन वैज्ञानिकों का भी बेहद अहम रोल रहा है. ये हैं पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपति डॉ. राहुल बहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर. इसके अलावा एक और रिसर्चर हैं, जिन्होंने अपना नाम नहीं बताया है.

रिसर्च के लिए बनी स्पेशल टीम

आखिर कोराना वायरस कहां से आया इसको लेकर पिछले साल मार्च में दुनियाभर के कई वैज्ञानिक और रिसर्च करने वालों ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर एक टीम तैयार की. इसे नाम दिया गया DRASTIC. इस टीम के कई लोगों ने सुरक्षा कारणों से अपने नाम नहीं बताए. डॉ. राहुल बहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर इस टीम के सदस्य थे. इसके अलावा इस टीम में तीसरे भारतीय रिसर्चर हैं ‘सीकर’. ये उनका निक नेम है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया का दावा है कि ‘सिकर’ की उम्र 20 से 30 साल के बीच है और वो पूर्वी भारत में रहता है. वो आर्किटेक होने के साथ-साथ फिल्में भी बनाता है. इसके अलावा वो एक साइंस टीचर भी है. उन्हें चाइनीज़ भाषा का भी ज्ञान है.ये भी पढ़ें:- 2022 में पांच राज्यों के चुनाव के लिए BJP ने कसी कसर, नड्डा के घर हुई अहम बैठक

ऐसे हुआ वुहान के लैब पर शक

भारतीय वैज्ञानिकों ने बताया कि रिसर्च की असली लीड उन्हें चीन की एक रिसर्च थेसिस से मिली. इसमें साल 2012 का ज़िक्र था, जिसमें बताया गया था कि कैसे चमगादड़ के संक्रमण से एक खदान में सात लोग बीमार हो गए, जिसमें से तीन की बाद में मौत हो गई. इन सबमें ऐसे ही लक्षण थे जो आमतौर पर कोरोना के मरीज़ों में होता है. खदान में इस रहस्यमय बीमारी का खुलासा भारतीय रिसर्च ‘सिकर’ ने ही किया. इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम इस थ्योरी पर करने लगी. और आज इस बात के सबूत मिलने के दावे किए जा रहे हैं कि कोरोना वायरस वुहान के लैब में ही तैयार किया गया.

क्या कहा वैज्ञानिकों ने

डॉ. राहलकर का कहना है कि वुहान में WIB और अन्य लैब वायरस पर प्रयोग कर रही थी. इन्हें इस बात का संदेह है कि चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के जीनोम में कुछ बदलाव किए थे. ऐसे में हो सकता है कि इस प्रक्रिया के दौरान मौजूदा कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई हो. इनका ये भी दावा है कि अप्रैल 2020 में उन लोगों ने रिसर्च की शुरुआत की और ये पाया कि SARS-CoV-2, RATG13 कोरोना वायरस को वुहान की लैब ने खदान से इकट्ठा किया.





Source link

News India Now

News India Now is Government Registered Online Web News Portal.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Light
Dark