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कोरोना, ओमिक्रॉन के बाद बड़े रूप में आ सकता है कोरोना, विशेषज्ञों ने दी ये चेतावनी, WHO ने भी चेताया | Taking Omicron as mild can prove to be a big mistake


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ओमिक्रॉन के तेजी बढ़ते प्रभाव के बीच, इस वैरिएंट को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञ सक्रिय हो गए है। हर दिन इससे संबंधित डाटा और स्टडीज सामने आ रही हैं। हालांकि, अब तक पुराने वैरिएंट्स की तुलना में ओमिक्रॉन इतना खतरनाक नजर नहीं आया है, लेकिन भारतीय मूल के प्रमुख वैज्ञानिक ने दावा किया है कि इसे माइल्ड (mild) समझना एक भारी चूक साबित हो सकती है। 

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक प्रमुख भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता ने चेतावनी दी है कि ओमिक्रॉन की कम गंभीरता अभी के लिए अच्छी खबर है, लेकिन यह दर्शा रहा है कि अगला वैरिएंट अधिक खतरनाक हो सकता है। 

कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट फॉर थेराप्यूटिक इम्यूनोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज (CITIID) में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता ने हाल ही में ओमिक्रॉन वैरिएंट पर एक स्टडी का नेतृत्व किया। स्टडी में सामने आया कि नया वैरिएंट अभी तक फेफड़ों में पाई जाने वाली सेल्स को कम संक्रमित कर रहा है।  

आपको बता दें यूके के बाद ओमिक्रॉन भारत में बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा है। 

प्रोफेसर गुप्ता ने कहा, ” ओमिक्रॉन के कम प्रभावी होने के बाद लोगों ने ऐसी धारणा बना ली है कि वायरस समय के साथ कमजोर हो जाते हैं, लेकिन कोरोना के साथ ऐसा नहीं है, यह समय के साथ लगातार बदलावों के साथ आता रहेगा। 

उन्होंने इसके प्रभाव को लेकर समझाया कि SARS-CoV-2 (COVID-19) को हल्के में लेना बेवकूफी साबित हो सकती है क्योंकि वैक्सीनेशन के दौर में भी इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा,” ओमिक्रॉन की गंभीरता कम होने संबंधी निष्कर्ष अभी के लिए जाहिर तौर पर अच्छी खबर है लेकिन कोई नया स्वरूप आता है तो उसमें निश्चित रूप से ये विशेषताएं नहीं होंगी और वह उस गंभीरता पर लौट सकता है जो हमने पहले देखी है।”

वैक्सीनशन है जरुरी 

रविंद्र गुप्ता ने कोविड वैक्सीनशन पर भी जोर देने को कहा। वायरस से बचाव के लिए बूस्टर डोज अवश्य देनी चाहिए क्योंकि सावधानी जरूरी है और संक्रमण को फैलने से रोकना तथा टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, “हमारे सामने हल्के लक्षण से संबंधित परिस्थितियां हैं, लेकिन हमें इस अवसर का उपयोग टीकाकरण को बढ़ाने के लिए करना चाहिए। भारत में डेल्टा स्वरूप से संक्रमण के अधिक मामले हैं इसलिए वहां कुछ प्रतिरक्षा क्षमता विकसित हो गई है। टीकाकरण बहुत अच्छी तरह शुरू किया गया है। हम जानते हैं कि ओमिक्रॉन टीकों से बच निकलने में सक्षम है और तीसरी बूस्टर खुराक आवश्यक है।”

WHO ने भी किया आगाह 

WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने भी आगाह किया है कि बेशक डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट कम गंभीर है, विशेष रूप से टीकाकरण वाले लोगों में, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे ‘माइल्ड’ केटेगरी में रखें। 

उन्होंने जिनेवा में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “ओमिक्रॉन लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है और यह लोगों को मार भी रहा है। इसके मामले पुराने वैरिएंट्स की तुलना में बहुत तेजी से सामने आ रहे है।”

कोरोना वायरस ने तीसरे साल में किया प्रवेश 

कोरोनवायरस को पहली बार दिसंबर 2019 में मध्य चीन के वुहान शहर में रिपोर्ट किया गया था, जिसके बाद से इसने पूरी दुनिया को अपने लपेटे में ले लिया  दुनियाभर में अभी तक इससे 3,00,17,300 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके है और 54,72,000 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके है।  

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