चंडीगढ़. कोरोना रोधी वैक्सीन निर्माण करने वाली कंपनियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल केंद्र सरकार के साथ ही वार्ता करेंगी. वैश्विक स्तर पर टीके का निर्माण करने वाली कंपनियां किसी राज्य सरकार या निजी कंपनियों से बात करने के बजाय केंद्र सरकार को अधिक तरजीह दे रही हैं. हाल ही में अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने पंजाब सरकार की अपील को खारिज कर दिया. पंजाब सरकार ने कहा था कि फार्मा कंपनी सीधे उनके राज्य में वैक्सीन की सप्लाई करे. अमेरिकी कंपनी ने पंजाब सरकार को जवाब में कहा कि उसकी नीतियों के अनुसार कंपनी सिर्फ केंद्र सरकारों के साथ ही वार्ता करती है. वहीं सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि मॉडर्ना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस साल के आखिर तक एक्स्ट्रा सप्लाई नहीं दे पाएगी. मॉडर्ना की बनाई वैक्सीन mRNA करीब 50 देशों में इस्तेमाल की जा रही है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया शामिल है. इससे पहले फाइजर ने भी कहा था कि वह केंद्र सरकार से ही बातचीत करेगी. कंपनी ने भारत में वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र से बातचीत की थी. इस दौरान उसने कुछ छूट भी मांगी. एक ओर जहां कई कंपनियां टीके की मांग के अनुपात में सप्लाई की कमी से जूझ रही हैं तो वहीं फाइजर और बायोएनटेक साल के अंत तक ढाई बिलियन डोज तक बना सकते हैं. साल 2022 तक इसकी मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी 3 बिलियन डोज सालाना हो सकती है.
पंजाब सरकार के अधिकारी ने क्या बताया?टीके के लिए पंजाब के नोडल अधिकारी विकास गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के निर्देश के मुताबिक सभी टीका निर्माताओं से सीधे तौर पर टीका खरीदने के लिए संपर्क किया गया जिनमें स्पूतनिक V, फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एवं जॉनसन शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मॉडर्ना की तरफ से जवाब आया है जिसमें कंपनी ने राज्य सरकार के साथ समझौता करने से इंकार कर दिया है. पंजाब सरकार ने बयान जारी कर कहा कि मॉडर्ना की नीति के मुताबिक, वह भारत सरकार के साथ व्यवहार रखती है न कि राज्य सरकार या किसी निजी पक्ष के साथ.
इससे पहले मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी संभावित स्रोतों से टीका खरीदने के लिए वैश्विक स्तर पर निविदा जारी करने की संभावना तलाशें ताकि राज्य के लोगों का जल्द से जल्द कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण किया जा सके. गौरतलब है कि टीके की खुराकें उपलब्ध नहीं होने के कारण पंजाब को पहले और दूसरे चरण की श्रेणी में टीकाकरण रोकना पड़ा था.