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बिहार का मझुआ कांड: पहले भी कई बार हो चुका है महादलितों पर अत्याचार, देखें पूरी रिपोर्ट


पूर्णिया के बायसी थाना के मझुआ गांव में 19 मई की रात एक समुदाय विशेष के सैकड़ों लोगों ने मदाहलित मेस्तरों के 13 घरों को पेट्रोल छिडक़कर आग लगा दी.
पूर्णिया के बायसी थाना के मझुआ गांव में 19 मई की रात एक समुदाय विशेष के सैकड़ों लोगों ने मदाहलित मेस्तरों के 13 घरों को पेट्रोल छिडक़कर आग लगा दी. एक पूर्व चौकीदार नेवालाल की हत्या कर दी. दरिन्दों ने बहु बेटियों की इज्जत तक लूटने की कोशिश की. यहां ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इसके पहले भी कई बार महादलितों की बस्ती बन चुकी है उपद्रवियों की हिंसा और अत्याचार की शिकार.
पूर्णिया. पूर्णिया ( Purnia) के बायसी थाना के मझुआ कांड के बाद अब राजनीति तेज हो गयी है. कई राजनीतिक दल के लोग वहां दौरा भी कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि इससे पहले भी यहां कई ऐसी घटनायें हुई है. चाहे वह निखरैल हत्याकांड हो या रुपसपुर खगहा, दरनिया कोठी घाट की घटना हो या कसमरा कांड. हर घटना में महादलित ही मारे गये हैं. वहीं हिन्दूवादी संगठन के लोग इस घटना के पीछे सोची समझी साजिश बता रहे हैं तो एआईएमआईएम इसे जमीन विवाद और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा बता रही है. पूर्णिया के बायसी थाना के मझुआ गांव में 19 मई की स्याह काली रात में एक समुदाय विशेष के सैकड़ों लोगों ने मदाहलित मेस्तरों के 13 घरों को पेट्रोल छिडक़कर आग लगा दी. एक पूर्व चौकीदार नेवालाल की पीटकर हत्या कर दी गई. इससे भी मन नहीं भरा तो दरिन्दों ने बहु बेटियों की इज्जत तक लूटने की कोशिश की. आज भी इन पीडि़त महादलितों के जेहन में वो खौफनाक काली रात की भयावह तस्वीर यादकर सिहर उठता है. इस घटना के पीडि़त बताते हैं कि किस तरह उस रात को उनके घरों को आग लगाकर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने उनलोगों पर अमानवीय अत्याचार किया था. लोगों ने गर्भवती महिला, बूढ़े और बच्चों तक को बेरहमी से पीटा और महिलाओं की ईज्जत आबरु से खिलवाड़ करने की कोशिश की. हिन्दुवादी संगठन इस घटना के पीछे बड़ी साजिश बता रहे हैं. आरएसएस धर्म जागरण के प्रान्त प्रशासनिक प्रमुख राजीव श्रीवास्तव की मानें तो इस इलाके में काफी दिनों से बड़ी साजिश रची जा रही है. कहीं न कहीं महादलितों और हिन्दुओं को भगाकर बिग बंग्लादश का कॉन्सेप्ट रचा जा रहा है . इसके लिये राष्ट्रीय एजेन्सियों को ध्यान देना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी दूसरे समुदाय के लोगों ने डगरुआ के निखरैल में 1998 ईस्वी में 9 आदिवासियों को जिन्दा जलाकर मार दिया गया था. इस तरह की कई घटनायें इस इलाके में लगातार हो रही हैं. हिन्दू जागरन मंच के प्रान्त कार्यकारिणी सदस्य समरेन्द्र भारद्वाज का कहना है जहां भी हिन्दू अल्पसंख्यक है उनके ऊपर हमला कर उन्हें पलायन करने के लिये विवश किया जा रहा है. वहीं एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष व अमौर के विधायक अख्तरुल ईमाम ने कहा कि यह पूरी तरह जमीन का विवाद है. प्रशासन की विफलता के कारण इस तरह की घटना हुई है. इसको कुछ लोग अलग रंग देना चाहते हैं. उन्होंने चैलेंज देते हुये कहा कि इस इलाके में उनकी जानकारी में कहीं रोहिंग्या मुसलमान नहीं हैं. अगर हैं तो प्रशासन क्या कर रहा है. बायसी के एआईएमआईएम के विधायक सैय्यद रुकनुद्दीन ने कहा कि प्रशासन घटना के बाद से लगातार कार्रवाई कर रहा है. घटना के पीछे कुछ अपराधियों का हाथ है. वहीं एसपी दयाशंकर ने बताया कि अबतक पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है. अन्य की गिरफ्तारी के लिये प्रयास किया जा रहा है.19 मई को पूर्णिया के मझुवा में महादलितों के साथ अत्याचार की ये पहले घटना नहीं है . अगर पूर्णिया जिला के बड़े घटनाओं की चर्चा करें तो सबसे अधिक चर्चित रहे निखरैल कांड था. डगरुआ के निखरैल में 15 दिसम्बर 1998 को मोहमदिया स्टेट के लोगों ने 9 आदिवासियों को जिन्दा जलाकर उसकी निर्मम हत्या कर दी थी . घटना के पीछे जमीन विवाद बताया जा रहा है. वहीं 22 नवम्बर 1971 ईस्वी को धमदाहा के रुपसपुर खगहा में 14 आदिवासियों की गोली मारकर और तलवार से काटकर निर्मम हत्या कर दी गई थी. 2002 में जमीन विवाद में कसमरा में 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी. वहीं 2009 में के नगर के डरमिया घाट में चार आदिवासियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी . इसके अलावे भी कई छोटी बड़ी घटनायें है जो इस ईलाके में अक्सर होती रहती है. आखिर इन सब घटनाओं के पीछे जिम्मेवार कौन है .