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बीमार होकर भी मरीजों को देते रहे सलाह, चाहते थे कि उन्हें खुश होकर याद किया जाए

पद्म श्री से सम्मानित जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ केके अग्रवाल का कोरोना से न‍िधन

पद्म श्री से सम्मानित जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ केके अग्रवाल का कोरोना से न‍िधन

Dr. KK Aggarwal’s Life: डॉ. केके अग्रवाल कोरोना संक्रमित होने के बाद भी इस घातक बीमारी के खिलाफ जागरूक करते रहे. अपने जीवन के अंतिम पलों में भी उन्होंने अपने वीडियोज और संदेशों के जरिए कई जानें बचाई हैं. आइए पद्मश्री सम्मान प्राप्त डॉक्टर अग्रवाल के बारे जानें…

नई दिल्ली. मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केके अग्रवाल (Dr. KK Aggarwal) अब हमारे बीच नहीं रहे. कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ राजधानी दिल्ली के एम्स में जंग लड़ रहे डॉक्टर अग्रवाल ने बीते सोमवार को अंतिम सांस ली. हालांकि, उन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में भी चिकित्सक होने का कर्तव्य नहीं छोड़ा. वे लगातार लोगों को इस घातक बीमारी के खिलाफ जागरूक करते रहे. अपने जीवन के अंतिम पलों में भी उन्होंने अपने वीडियोज और संदेशों के जरिए भी कई जानें बचाई हैं. डॉक्टर अग्रवाल के ट्विटर हैंडल से जारी बयान में कहा गया है कि वैश्विक महामारी के दौरान भी उन्होंने लोगों को शिक्षित करने के लगातार प्रयास किए और कई वीडियो तथा शैक्षिक कार्यक्रमों के जरिए करीब 10 करोड़ लोगों तक पहुंचे और अनेक लोगों की जान बचाई. वह चाहते थे कि उन्हें खुश होकर याद किया जाए दुखी होकर नहीं. आइए पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉक्टर अग्रवाल के जीवन एक बार और करीब से देखते हैं. निजी और शुरुआती जीवन डॉक्टर अग्रवाल के पिता यूं तो मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. इसके बाद उन्होंने नौकरी के चलते राजधानी दिल्ली का रुख किया. अपने पिता के साथ डॉक्टर अग्रवाल भी दिल्ली पहुंच गए. कहा जाता है कि डॉक्टर अग्रवाल बचपन से ही सभी को साथ में लेकर चलने के समर्थक थे. यही स्वभाव एक डॉक्टर के रूप में उनके पेशेवर जीवन में भी देखने को मिलता है.हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल का कोरोना से AIIMS में निधन, कई दिनों से वेंटीलेटर पर चल रहा था इलाज शिक्षा और पेशेवर जीवन मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि डॉक्टर अग्रवाल ने साल 1979 में नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई की. MBBS के बाद साल 1983 में इसी विश्वविद्यालय से उन्होंने MD की पढ़ाई भी की. कहा जाता है कि देश में दिल के दौरे के लिए स्ट्रैप्टोकिनेस थैरेपी का इस्तेमाल करने वाले शुरुआती लोगों में डॉक्टर अग्रवाल का नाम भी शआमिल है. साथ ही उन्होंने भारत को ईकोकार्डियोग्राफी से भी परिचित कराया.
डॉक्टरी कि शिक्षा के बाद उन्होंने नई दिल्ली के मूलचंद मेडसिटी में साल 2017 तक सीनियर कंसल्टेंट का पद भी संभाला. इसके अलावा वे हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर भी रहे. उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख की भी जिम्मेदारी संभाली.

पुरस्कार और लेखन अगर गिनती करने जाएं, तो डॉक्टर अग्रवाल ने अपने जीवन में हजारों पुरस्कार अपने नाम किए हैं, लेकिन उनका नाम पद्मश्री पुरस्कार विजेताओं की सूची में भी शामिल है. उन्हें यह सम्मान साल 2010 में मिला था. इससे पहले उन्होंने साल 2005 में डॉक्टर बीसी रॉय पुरस्कार अपने नाम किया था. इसे मेडिकल क्षेत्र के सर्वोच्च पुरस्कारों में गिना जाता है. अपने जीवन में डॉक्टर अग्रवाल ने विश्व हिंदी सम्मान, राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार, फिक्की हेल्थ केयर पर्सनालिटी ऑफ द ईयर, डॉक्टर डीएस मुंगेकर राष्ट्रीय IMA समेत कई अवॉर्ड्स हासिल किए.उन्होंने चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी कई किताबें लिखी हैं. साथ ही उनके लेख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं.





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