बंगाल में यास तूफान की समीक्षा बैठक में क्यों दिखा टकराव, जानें असली वजह

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बीजेपी 75 विधायकों और 18 सांसदों के साथ मजबूत विपक्ष की स्थिति में है. साथ ही नंदीग्राम में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को हराकर चुनाव जीतने वाले शुभेंदू अधिकारी (Suvendu Adhikari) भी नेता प्रतिपक्ष हैं. ऐसी स्थिति में ममता बनर्जी और केंद्र के बीच जैसा टकराव शुक्रवार को दिखा, उसके आगे और तेज होने की आशंका है. क्योंकि दोनों ही तरफ से उकसावे के प्रयास जारी हैं.
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में उकसावे की बात यह हुई कि यास तूफान को लेकर हुई समीक्षा बैठक में शुभेंदू अधिकारी को भी बुलाया गया. ममता बनर्जी की तरफ से बृहस्पतिवार को ही केंद्र को संदेश दे दिया गया था कि ये ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार’ के बीच की बैठक है. इसमें विपक्ष के नेता की मौजूदगी का कोई औचित्य नहीं है. ममता बनर्जी की तरफ से ये इशारा भी दिया गया था कि अगर बैठक में शुभेंदू मौजूद रहे तो वो बैठक में नहीं शामिल होंगी.
केंद्र ने कहा पहले भी बुलाए जाते रहे हैं नेता प्रतिपक्ष
केंद्र सरकार ने कहा कि ओडिशा में भी मुख्यमंत्री के साथ विपक्ष के नेता को बुलाया गया था. पश्चिम बंगाल में शुभेंदू अधिकारी के अलावा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को भी बुलावा भेजा गया था. ओडिशा में विपक्ष के नेता स्वास्थ्य कारणों से नहीं शामिल हुए तो वहीं अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि वो दिल्ली में हैं. सरकार के सूत्रों का कहना है कि पूर्व में त्रासदियों के दौरान होने वाली समीक्षा बैठकों में विपक्ष के नेता को बुलाया जाता रहा है.‘शुभेंदू अधिकारी को जानबूझकर सीएम ममता को शर्मिंदा करने के लिए बुलाया गया था’
लेकिन एक वरिष्ठ तृणमूल नेता का कहना है कि शुभेंदू अधिकारी को जानबूझकर सीएम ममता को शर्मिंदा करने के लिए बुलाया गया था. क्योंकि शुभेंदू ने ममता को चुनाव हराया है. उन्होंने पूछा कि क्या बीते सप्ताह गुजरात में टाउते तूफान की समीक्षा बैठक के दौरान विपक्ष के नेता को बुलाया गया था? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिन-रात यास तूफान से पैदा हुई स्थितियों पर नजर बनाई हुई है, वो अपनी जिम्मेदारियां बेहतर तरीके से समझती हैं.
केंद्र की तरफ से दिखाया गया बड़ा दिल
केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से बड़ा दिल दिखाते हुए आधिकारिक विज्ञप्ति में सीएम ममता के दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार का जिक्र नहीं किया गया है. पीएम मोदी ने बेहद शालीनता के साथ वो रिपोर्ट स्वीकारी जो ममता बनर्जी ने कुछ देर तक बैठक में रहने के दौरान सौंपी. इसके बाद वो ये कहकर निकल गईं कि उन्हें दीघा जाना है.
ममता पर शुभेंदू अधिकारी ने साधा निशाना
शुभेंदू अधिकारी भी सीएम ममता बनर्जी पर राजनीतिक हमला करने का मौका नहीं चूके. उन्होंने अन्य पार्टियों के मुख्यमंत्रियों, जैसे उमर अब्दुल्ला, पी विजयन, दिवंगत जे जयललिता और नवीन पटनायक का नाम लेते हुए कहा कि जब इन मुख्यमंत्रियों के राज्य में कोई प्राकृतिक आपदा आई तो कैसे उन्होंने पीएम के रिव्यू मीटिंग में हिस्सा लिया था.
उन्होंने चक्रवात ‘अम्फान’ के दौरान ममता के मिसमैनेजमेंट और उनकी तानाशाह प्रवृति और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अनादर के भाव को लेकर हमले किए. टीएमसी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मीटिंग के बाद अधिकारी का यह बयान सीएम की बात को साबित करता है कि वह राजनीतिक वजहों से बैठक में शामिल हो रहे थे न कि सार्थक वजहों से. उन्होंने बैठक में केवल फोटो खिंचवाई. उन्होंने कहा कि यह याद रखने की जरूरत है कि सीएम ‘अम्फान’ तूफान के वक्त पीएम की रिव्यू मीटिंग में मौजूद थीं.
पीएम मोदी ने की राहत पैकेज की घोषणा
इस बीच, पीएम नरेंद्र मोदी ने बंगाल और झारखंड के लिए 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है. केंद्र ने कहा कि यह राहत पैकेज नुकसान के आकलन के आधार पर जारी किया जाएगा. इसके बाद इंटर मिनिस्ट्रियल टीम नुकसान का जायजा लेने के लिए चक्रवात प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेगी और उसके आधार पर आगे और राहत दी जाएगी.
कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में राहत पैकेज को लेकर भी तनातनी हो सकती है क्योंकि अम्फान चक्रवात के दौरान पीएम द्वारा घोषित किए गए 1000 करोड़ रुपये के अंतरिम राहत पैकेज को सीएम ममता बनर्जी ने पर्याप्त नहीं बताया था.
इधर, बीजेपी केंद्र द्वारा ‘यास’ चक्रवात से हुए नकुसान के लिए भेजे जाने वाले राहत पैकेज के उपयोग पर कड़ी नजर रखने की तैयारी कर रही है. बता दें कि विधानसभा इलेक्शन में बीजेपी ने अम्फान राहत राशि में भ्रष्टाचार को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था. अधिकारी आने वाले 5 सालों के लिए सीएम की आंख में चुभने वाला कांटे तो रहने ही वाले हैं.