बच्चों पर कोवैक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल पर स्टे से हाई कोर्ट का इनकार, DCGI को नोटिस


जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने की सुनवाई.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस मांग को खारिज किया जिसमें जनहित याचिका में कहा गया था कि बच्चों पर किए जा रहे वैक्सीन के ट्रायलों को रोका जाए. हालांकि इस मामले में कोर्ट ने संबंधित पार्टियों को नोटिस ज़रूर जारी किए.

बच्चों पर कोवैक्सिन के दूसरे और तीसरे फेज़ के ट्रायलों को रोकने के संबंध में जनहित याचिका दायर की गई.
कुमार के मुताबिक ‘बच्चे इस तरह के क्लिष्ट कानूनी कॉंट्रैक्ट को चूंकि पूरी तरह पढ़ने और समझने में समर्थ नहीं होंगे इसलिए ‘वॉलेंटियर’ यानी अपनी मर्ज़ी से ट्रायल की इजाज़त देने जैसे कॉंट्रैक्ट पर उनसे साइन करवाया जाना प्रथम दृष्टया अपने आप में गैर कानूनी लगता है.’ कुमार ने याचिका में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के सेक्शन 81 को उन अभिभावकों के खिलाफ लगाए जाने की मांग भी की, जो वित्तीय मुआवज़े के लालच में बच्चों को इन ट्रायलों में ‘वॉलेंटियर’ बना रहे हैं.
ये भी पढ़ें : MP के परिवार शादी समारोह के लिए क्यों और कैसे कर रहे हैं UP का रुख? चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने संजीव कुमार द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी इस संबंध में चल रही कार्रवाई में पार्टी बनाया. हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की गई है.