कोविन ऐप चीफ का बड़ा बयान- वैक्सीन की दौड़ में गांव नहीं छूटे, उन पर भी फोकस


आरएस शर्मा ने वैक्सीनेशन कार्यक्रम संबंधी कई जानकारियां दी हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और कोविन ऐप के प्रमुख आर एस शर्मा (RS Sharma) मानते हैं कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल दरार तो है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गांवों को भुला दिया गया है. वैक्सीन के 20 करोड़ डोज सिर्फ शहर के अमीर लोगों को ही नहीं लगे हैं.
नई दिल्ली. कोविड 19 की दूसरी लहर (Covid 2nd Wave) ने भारत के ग्रामीण इलाकों को भी नहीं छोड़ा है और तकनीक और इंटरनेट के मूलभूत ढांचे की कमी की वजह से गांवों में कोविन ऐप (COWIN App) पर वैक्सीन के लिए पंजीकरण भी नहीं हो रहा है. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और कोविन ऐप के प्रमुख आर एस शर्मा मानते हैं कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल दरार तो है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गांवों को भुला दिया गया है. वैक्सीन के 20 करोड़ डोज सिर्फ शहर के अमीर लोगों को ही नहीं लगे हैं.
आर एस शर्मा कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला कलेक्टर और अधिकारियों को गांव वालों के बीच जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी दी जा चुकी है. शर्मा के मुताबिक, ‘हमारे डेटा में, कोविन ऐप पर आप ग्रामीण इलाकों में भी वैक्सीन केंद्र देख सकते हैं. बेहद अंदरूनी इलाकों में भी करीब 2000 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है. यह कहना गलत होगा कि गांव में टीकाकरण हो ही नहीं रहा है.’
यह कहना गलत है कि तकनीक की कमी है
एएनआई की रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह गांवों में वायरस की वजह से लोगों की मौत हो रही है और किस तरह खराब तकनीकी ढांचे की वजह से लोग वैक्सीन के लिए पंजीकरण नहीं करवा पा रहे हैं. लेकिन शर्मा का कहना है कि यह कहना गलत है कि तकनीक की कमी है. वह कहते हैं, ‘जिस भारत की आप बात कर रहे हैं, वो दस साल पुराना भारत है. आज हमारे पास 120 करोड़ मोबाइल कनेक्शन, 60 करोड़ स्मार्टफोन, 70 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन हैं. हम डाटा के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.’45 साल से ऊपर के 57 फीसदी लोग खुद चलकर केंद्र पहुंचे
दूसरी तरफ शर्मा मानते हैं कि गैरबराबरी है, लेकिन उनकी टीम ने वैक्सीन को लेकर सुलभ सिस्टम तैयार किया है. वैक्सीन लगवाने वाले 45 साल से ऊपर के 57 फीसदी लोग खुद चलकर केंद्र पहुंचे, वहीं चार लोग, एक मोबाइल से पंजीकरण कर सकते हैं. आप मानेंगे एक परिवार में एक फोन तो है. इसके अलावा कॉल सेंटर के जरिए भी आप रजिस्टर कर सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि तकनीक पर दोष न डाला जाए, बल्कि उसका सरलीकरण किया जाए. वह आगे कहते हैं कि भारत में करीब ढाई लाख कॉमन सर्विस सेंटर हैं जो ग्रामीण इलाकों में पंजीकरण में मदद कर रहे हैं. हर दो या तीन गांव में एक केंद्र होता है जहां आकर लोग पंजीकरण करवाते हैं.
डेटा लीक की बात पर क्या बोले
कोविन के जरिए डेटा लीक की खबर पर शर्मा कहते हैं कि सिर्फ नाम और जन्मतिथि की जानकारी लेना डेटा लीक कैसे हुआ. बिना नाम जाने व्यक्ति की पहचान कैसे संभव है. जहां तक वैक्सीन न मिलने की बात है तो उसे कुछ वक्त की दिक्कत बताई जा रही है और मांग-आपूर्ति में असंतुलन की वजह से ऐसा हो रहा है और यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी. वह कहते हैं कि और वैक्सीन आ रही है और भारत में भी यह बन रही है जिसके बाद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचेगी.