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क्या आध्यात्मिक शक्ति हरा पायेगी कोरोना को।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। आये दिन किसी मित्र या परिजन के कोरोना ग्रस्त होने की खबरें विचलित कर देती हैं। सरकार इस महामारी से बचने के उपाय कर र. ही है, लेकिन फिर भी लोग असहाय महसूस कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब कुछ लोग डिप्रेस हो रहे हैं, तो कुछ सकारात्मक सोच रखते हुए अध्यात्म की ओर रुख कर रहे हैं। क्या अध्यात्म के पास कोरोना महामारी से निपटने का उपाय है?

अध्यात्म में यह माना जाता है कि महामारियां तभी आती हैं जब लोगों के नैतिक मूल्यों में भारी गिरावट आ जाती है और समाज भ्रष्ट हो जाता है। महामारियां और विपदाएं प्रकृति का मानवजाति को चेताने और सामंजस्य लाने का तरीका हो सकता है।

माना जाता है कि मनुष्य के नैतिक गुण में सुधार आने से वह प्राकृतिक विपदाओं से प्रभावमुक्त रह सकता है। इसी सन्दर्भ में हम आपका परिचय फालुन दाफा (या फालुन गोंग) से कराना चाहेंगे जो मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है। फालुन दाफा में पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाये जाते हैं, किन्तु बल मन की साधना या नैतिक गुण साधना पर दिया जाता है। ये व्यायाम व्यक्ति की शक्ति नाड़ियों को खोलने, शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत और आंतरिक शांति प्रदान करने में सहायता करते हैं। मन और शरीर का एक परिपूर्ण अभ्यास होने के कारण इस अभ्यास से लोगों को कम समय में ही आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
फालुन दाफा विश्व की मूलभूत प्रकृति: सत्य – करुणा – सहनशीलता के नियमों पर आधारित है, जिस कारण इसके अभ्यासी प्रकृति और विश्व के साथ सामंजस्य रख पाते हैं और रोगों तथा विपदाओं से प्रभावमुक्त रह पाते हैं। अनुभव विवरणों के अनुसार वे कोरोनाग्रस्त लोग जो अभ्यासी भी नहीं थे, वे भी इस वाक्य – “फालुन दाफा अच्छा है, सत्य–करुणा–सहनशीलता अच्छा है” का मन में लगातार उच्चारण कर इस गंभीर रोग से उबर पाए। यह चमत्कार जैसा लगता है, लेकिन इन लोगों के स्वस्थ होने का मुख्य कारण उनका विश्व की मूलभूत प्रकृति के साथ आत्मसात होना है। आधुनिक विज्ञान को अवश्य ही इस विषय पर शोध करनी चाहिए।
पुस्तक में फालुन दाफा अभ्यास द्वारा अनेक लोगों के गंभीर और जानलेवा बीमारियों से उबरने के अनुभव संकलित हैं। यह पुस्तक से डाउनलोड की जा सकती है।
आज दुनिया भर में 90 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग फालुन दाफा का अभ्यास कर रहे हैं। हमारे देश में भी हजारों लोग दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, कोलकाता, हैदराबाद, नागपुर, पुणे आदि शहरों में फालुन दाफा का अभ्यास कर रहे हैं। यदि अधिक से अधिक लोग सत्य – करुणा – सहनशीलता के नियमों को अपनाएंगे तो सहज ही समाज का नैतिक गुण स्तर बढ़ेगा और प्राकृतिक रूप से विपदाएँ कम होंगी। कोरोना काल में चूंकि बाहरी गतिविधियाँ सीमित हैं, इसलिए इसे ऑनलाइन भी सिखाया जा रहा है।

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