80 वर्षीय बुजुर्ग ने यूपी सरकार से 510 करोड़ रुपये मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी | 80-year-old man applied in the Supreme Court for compensation of Rs 510 crore from the UP government

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 80 वर्षीय एक बुजुर्ग ने वक्फ संपत्ति के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से 510 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति ने इस साल 19 अप्रैल को पारित इलाहाबाद हाईकोर्ट और फतेहपुर के जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसने उसे मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता अलीम अख्तर ने दावा किया कि भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधानों के अनुसार मुआवजा देय था।
अधिवक्ता ओमप्रकाश परिहार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है : याचिकाकर्ता 80 वर्षीय कानूनी उत्तराधिकारी जीवित है, उसने 510 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया था जिसे जिला मजिस्ट्रेट, फतेहपुर ने अस्वीकार कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश स्पष्ट रूप से गलत है, क्योंकि इसमें शामिल मुद्दा वक्फ अल अल औलाद की संपत्ति के संबंध में था, यानी वह संपत्ति जो आने वाले समय के लिए वंशजों की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने में घोर गलती की कि याचिकाकर्ता 110 साल पहले से जारी भूमि का मालिक था। वास्तव में, याचिकाकर्ता के पूर्वज मोहम्मद हसन उस संपत्ति के मालिक थे, जिसके संबंध में प्रमाणित किया गया था। खसरा और खतवानी की प्रतियां रिकॉर्ड में थीं।
याचिका में दलील दी गई है कि संबंधित संपत्ति के राजस्व रिकॉर्ड में याचिकाकर्ता के पिता का नाम मिलने की रिपोर्ट के बावजूद मुआवजे से इनकार किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत के आदेश भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार की धारा 24 (2) और 64 के विपरीत थे और राज्य सरकार के लिए संपत्ति लेना सही नहीं है।
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