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Coronavirus को जड़ से खत्म कर देगी DRDO की दवा 2-DG, जानें इसकी खासियत

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 2-डीजी कोरोना की लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि है.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित 2-डीजी कोरोना की लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि है.

रक्षा मंत्रालय ने इस महीने के शुरू में कहा था कि कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले तथा गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है.

नई दिल्ली. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित की गयी कोविड-19 रोधी दवा 2-डीजी की पहली खेप सोमवार को लॉन्च की जाएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन इस दवा को लॉन्च करेंगे. अधिकारियों ने रविवार को इस बात की जानकारी दी. रक्षा मंत्रालय ने इस महीने के शुरू में कहा था कि कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले तथा गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है. अधिकारियों ने बताया कि डीआरडीओ के मुख्यालय में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में दोनों केन्द्रीय मंत्री इस दवा की पहली खेप को लॉन्च करेंगे. रक्षा मंत्रालय ने आठ मई को एक बयान में कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं. ऐसे ली जाती है दवा2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है. दवा के असर की बात की जाए तो जिन लक्षण वाले मरीजों का 2डीजी से इलाज किया गया वे मानक इलाज प्रक्रिया (एसओसी) से पहले ठीक हुए. पिछले साल के शुरुआत में महामारी शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तैयारियां करने का आह्वान किया गया जिसके बाद डीआरडीओ ने इस परियोजना पर काम शुरू किया.

DRDO के वैज्ञानिकों ने बनाई है 2DG दवा अप्रैल 2020 में आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कोरोना महामारी को लेकर बनाई गई दवा के कई परीक्षण किए. उन्होंने पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरस को बढ़ने से रोकती है. मई 2020 में कोविड मरीजों में 2-डीजी के चरण-2 के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी गई और मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों में दवा सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखा. फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया है.
इस दवा के सफल परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने इस दवा के लिए नवंबर 2020 में चरण-3 नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल किया गया. इसके बाद दवा के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े डीसीजीआई को पेश किए गए. मरीजों के लक्षणों में काफी अधिक अनुपात में सुधार देखा गया. इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया.





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