राष्ट्रीय
17 लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैली बर्फ की चादर में पिघलने के संकेत, चिंतित हुए वैज्ञानिक


इसे ग्लोबल वार्मिंग के असर के रूप में भी देखा जा रहा है. (सांकेतिक तस्वीर)
जर्मनी के पोट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (PIK) के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर (Greenland Ice Sheet) के सेंट्रल-वेस्टर्न पार्ट में ये संकेत देखे गए हैं. ये इलाके अब संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं.
बर्लिन. वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि ग्रीन लैंड स्थित बर्फ की चादर (Greenland Ice Sheet) के पिघलने के संकेत मिलने लगे हैं. जर्मनी के पोट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (PIK) के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के सेंट्रल-वेस्टर्न पार्ट में ये संकेत देखे गए हैं. ये इलाके अब संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं. स्टडी में कहा गया है कि बढ़ते तापमान की वजह से इन बर्फ की चादर के भीतर पिघलने के संकेत दिख रहे हैं. ग्रीन लैंड की ये बर्फ की चादर दुनिया में अंटार्कटिका के बाद सबसे बड़ी चादर है. ये करीब 17 लाख स्क्वायर किलोमीटर में फैली हुई है. अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि तापमान के एक स्तर के बाद अगर ये चादर पिघलना शुरू हुई तो करीब 900 वर्षों में पूरी पिघल जाएगी. बर्फ की चादर के पिघलने की रफ्तार तेज हो सकती है वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से आगाह किया है कि बर्फ की चादर के पिघलने की रफ्तार तेज हो सकती है. कहा जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो वैश्विक तौर पर समुद्री जल स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है. शोधकर्ता निकलास बोएर्स ने बताया है-ये चादर अब अस्थिर हो रही है. ये गंभीर संकेत हैं. हमारी स्टडी में पता चला है कि पिघलने की रफ्तार बढ़ सकती है जो बेहद चिंताजनक मामला है.ग्लोबल वार्मिंग का मामला इस वक्त वैश्विक चिंता का विषय बता दें ग्लोबल वार्मिंग का मामला इस वक्त वैश्विक चिंता का विषय है. दुनियाभर के देश इसे लेकर प्रयास कर रहे हैं लेकिन अभी इसके ठोस परिणाम सामने आते नहीं दिख रहे हैं. धरती का तापमान बढ़ने की वजह से ग्लेशियरों के पिघलने की खबरें आती रही हैं. अब ग्रीनलैंड बर्फ की चादर को लेकर आई खबर ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है.