नहीं मिली ममता बनर्जी के मंत्रियों और विधायक को राहत, जेल में ही कटेगी रात


ममता बनर्जी. (फाइल फोटो)
Narada Sting Case: नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए थे.
कोलकाता. नारदा स्टिंग टेप मामले में तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और एक विधायक तथा पार्टी के एक पूर्व नेता को कलकत्ता उच्च न्यायालय से बुधवार को भी राहत नहीं मिल सकी. अब मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और पूर्व नेता शोभन चटर्जी की जमानत पर गुरुवार को सुनवाई होगी.
क्या है नारदा स्टिंग मामला
नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि फिरहाद हकीम को स्टिंग ऑपरेशन करने वाले से पांच लाख रुपये रिश्वत लेने की बात स्वीकार करते हुए देखा गया, जबकि मदन मित्रा और सुब्रत मुखर्जी को कैमरे पर पांच-पांच लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया. सोवन चटर्जी को स्टिंग करने वाले से चार लाख रुपये लेते हुए देखा गया. सीबीआई के अनुसार आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा को भी कैमरे पर पांच लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया.
2017 में दर्ज सीबीआई की FIR में 13 लोगों के नामयह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था. हालांकि, चुनाव पर इसका असर नहीं पड़ा और ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी हुई. सीबीआई ने 16 अप्रैल 2017 को दर्ज प्राथमिकी में 13 लोगों को नामजद किया है जिनमें वर्ष 2014 के ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे तृणमूल नेता हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी शामिल हैं. हकीम और मुखर्जी हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में दोबारा जीते हैं, जबकि चटर्जी तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. अधिकारियों ने बताया कि आठ आरोपियों पर मामला चलाने की मंजूरी अबतक नहीं मिली है क्योंकि वे सभी संसद सदस्य हैं. उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2017 को ही स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे.