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कोरोना के नए वेरिएंट पर असरदार है वैक्सीन, लेकिन एक डोज़ से नहीं चलेगा काम- वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

कॉन्सेप्ट इमेज.

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Covid-19 Vaccine: वैक्सीन के प्रभाव को लेकर ये स्टडी ब्रिटेन में की गई है, जिसके मुताबिक भारत में कोरोना की दूसरी लहर का बड़ा कारण माने जा रहे इस नए वेरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन की दो डोज़ बेहद जरूरी है.

नई दिल्ली. कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus 2nd Wave) से इन दिनों भारत में हर तरफ तबाही का दौर चल रहा है. हालांकि पिछले एक हफ्ते के दौरान कोरोना की रफ्तार में कमी जरूर आई है, लेकिन मौत के आंकड़े अब भी डराने वाले हैं. भारत में मिला कोरोना का नया वेरिएंट B.1.617.2 लोगों को तेज़ी से अपनी चपेट में ले रहा है. वैज्ञानिक इस वेरिएंट को बेहद खतरनाक बता रहे हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में दावा किया है कि इस वेरिेएंट के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज़ काफी नहीं है. वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना के इस वेरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन की दो डोज़ बेहद जरूरी है. बता दें कि इससे पहले ये कहा जा रहा था कि वैक्सीन की एक डोज़ से भी कुछ हद तक वायरस के प्रभाव से बचा जा सकता है, लेकिन नए वेरिएंट के खिलाफ ऐसा नहीं है. वैक्सीन के प्रभाव को लेकर ये स्टडी ब्रिटेन में की गई है. भारत में फिलहाल चल रहे टीकाकरण अभियान पर इसका असर पड़ सकता है. पिछले दिनों भारत सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच के अंतर को बढ़ाने का फैसला किया था. अब ये वैक्सीन भारत में 12-16 हफ्तों के बीच लगाई जा रही. ऐसे में कोरोना की नई वेरिएंट से बचने के लिए सरकार को नई प्लानिंग करनी पड़ सकती है. नए वेरिएंट पर वैक्सीन का असर ब्रिटेन में शनिवार को सार्वजनिक की गई स्टडी के मुताबिक वैक्सीन की एक डोज़ कोरोना की वेरिएंट B.1.617.2 के खिलाफ सिर्फ 33 फीसदी सुरक्षा देती है, जबकि दूसरी वेरिएंट B.1.1.7 के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज़ के बाद 51 परसेंट सुरक्षा मिलती है. यहां उन लोगों की बात की जा रही है जिनमें कोरोना के लक्षण है. न कि बिना लक्षण वाले मरीजों. ये डेटा ब्रिटेन के उन लोगों की हैं जिन्होंने फाइज़र और ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई है. बता दें कि भारत में एस्ट्राजेनेका की ये वैकीन कोविशील्ड के नाम से लगाई जा रही है.

दो डोज़ के बाद कैसा रहा असर वैक्सीन की दो डोज़ लेने के बाद B.1.617.2 के खिलाफ 81 फीसदी तक की सुरक्षा मिलती है. जबकि B.1.1.7 के खिलाफ ये 87 प्रतिशत प्रभावी है. बता दें कि पिछले दिनों इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की शुरुआती रिपोर्ट जारी की थी. इसके मुताबिक भारतीय वैक्‍सीन कोविशील्‍ड और कोवैक्सिन कोरोना वायरस के बी.1.617 वेरिएंट के खिलाफ कुछ ही एंटीबॉडी तैयार कर पा रही हैं, लेकिन ये वैक्‍सीन कोरोना के दूसरे वेरिएंट पर प्रभावी हैं.





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