राष्ट्रीय
बंगाल में 1 लाख लोगों के पलायन पर केंद्र-राज्य सरकार को SC का नोटिस, 7 जून तक मांगा जवाब


सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 7 जून को होगी.
West Bengal Post Poll Violence: याचिका में कहा गया कि हिंसा के भय से लोग विस्थापित हो रहे हैं या पलायन करने को मजबूर हैं. वे पश्चिम बंगाल के भीतर और बाहर आश्रय गृहों या शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. याचिका में एक लाख से अधिक लोगों के विस्थापन का दावा किया गया है.
West Bengal Post Poll Violence: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई हिंसा में करीब 1 लाख लोगों के पलायन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार को इस मामले पर नोटिस जारी किया है. जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई की हॉलीडे बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील प़िकी आनंद की मांग पर राष्ट्रीय महिला आयोग और महिला और SC/ST आयोग को भी पक्षकार बनाने की मंजूरी दी है. इस मामले पर अब 7 जून को अगली सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता और पीड़ित परिवारों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि राज्य प्रायोजित हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल में लोगों का पलायन एक गंभीर मानवीय मुद्दा है. यह लोगों के अस्तित्व का मामला है. इन लोगों को दयनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकार का साफतौर पर उल्लंघन है. याचिका में कहा गया कि कि केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद-355 के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए राज्य को आंतरिक अशांति से बचाना चाहिए. राज्य में राजनीतिक हिंसा, हत्या और रेप की घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने की मांग की गई है। साथ ही, मांग की गई कि विस्थापित व्यक्तियों के लिए शिविर, भोजन, दवाओं की तत्काल व्यवस्था की जाए.