राष्ट्रीय

अभिभावकों की मांग, सीबीएसई 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षाएं रद्द, अब वापस हो परीक्षा शुल्‍क

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद अब परीक्षा फीस वापस करने की मांग की जा रही हैैै.

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद अब परीक्षा फीस वापस करने की मांग की जा रही हैैै.

एडवोकेट अशोक कहते हैं कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं तो छात्रों से लिया गया परीक्षा शुल्‍क वापस किया जाना चाहिए. आईपा इसे छात्रों का नैतिक और विधिक अधिकार मानती है. ऐसे में सत्र 2020-21 की परीक्षा फीस जल्‍दी से जल्‍दी वापस की जाए

नई दिल्‍ली. कोरोना महामारी को देखते हुए सीबीएसई ने 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी रद्द कर दी हैं. वहीं कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत में 10वीं की परीक्षाएं भी कैंसिल कर दी गई थीं. ऐसे में अब ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने सीबीएसई से बच्‍चों से लेकर जमा कराई गई परीक्षा फीस वापस करने की मांग की है.

आईपा की ओर से सीबीएसई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सत्र 2020-21 के लिए स्‍कूलों ने छात्रों से परीक्षा शुल्‍क जमा कराया था जिसे अब परीक्षा न होने की स्थिति में वापस किया जाए. आईपा के अध्‍यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल का कहना है कि पिछले मार्च से पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. इस दौरान बीमारी और लॉकडाउन के साथ लगे तमाम प्रतिबंधों के कारण अभिभावकों की इनकम पर काफी बुरा असर पड़ा है.

ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने पिछले साल अक्‍टूबर में भी परीक्षा शुल्‍क को लेकर केंद्र और राज्‍य सरकारों से माफी की मांग की थी. इतना ही नहीं इसे लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी जिसके बाद सीबीएसई को शुल्‍क माफ करने के लिए प्रतिवेदन भी दिया था लेकिन सीबीएसई की ओर से माफी से इनकार करने के बाद अभिभावकों ने परीक्षा फीस जमा की.

एडवोकेट अशोक कहते हैं कि अब जबकि दोनों कक्षाओं की परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं तो छात्रों से लिया गया शुल्‍क वापस किया जाना चाहिए. आईपा इसे छात्रों का नैतिक और विधिक अधिकार मानती है. ऐसे में इस सत्र की परीक्षा फीस जल्‍दी से जल्‍दी वापस की जाए.आईपा की ओर से इस पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री की भी दी गई है. अशोक अग्रवाल कहते हैं कि देश में ऐसे कितने ही अभिभावक हैं जिन्‍हें पैसा कर्ज लेकर स्‍कूलों की फीस  जमा करनी पड़ी है. अब जबकि केंद्र सरकार और सीबीएसई ने परीक्षाएं न कराने का फैसला किया है तो छात्रों के हित से संबंधित और भी फैसले लिए जाएं.





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