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जालंधर में छुटभैये नेता का फर्जीवाड़ा…बोले-मुझे चांद पर गिफ्ट में मिली 1 एकड़ जमीन

जालंधर(रवि कुमार): -हमारा जालंधर शहर बहुत रंगीन है। यहां आपको मनोरंजन के कई साधन मिल जाएंगे और कुछ कैरेक्टर ऐसे मिल जाएंगे जो अपने आप में मनोरंजन का साधन हैं। मनोरंजन भी ऐसा कि गप्पे हांकते हांकते वे चांद तक पहुंच जाते हैं और फिर वहां से अपने दोस्त को साथ लाते हैं और कहते हैं मेरे दोस्त ने मुझे चांद पर एक एकड़ जमीन उपहार में दे दी है।

जिस शख्स कि हम बात कर रहे हैं वह धर्म की आड़ में बेवजह बयानबाजी करके चर्चा में रहता है। कभी इस संगठन और कभी उस संगठन में मेंढकों की तरह जंप करना उसकी आदत है। इस आदत की वजह का भंडाफोड़ हो चुका है इस कारण उक्त व्यक्ति को बेवजह गुस्सा चढ़ता है।

गुस्सा भी इतना कि भरी प्रेस कांफ्रेंस में उग्र हो जाता है। अब गुस्सा हो भी क्यों न मेंढक जितना मर्जी छलांग लगा ले रहता तो कुएं में ही चांद पर तो पहुंच नहीं जाता। पर जालंधर में एक शख्स को गलतफहमी हो गई है कि वे चांद पर जमीन का मालिक बन गया है और यह जमीन उसे उसके एनआरआई दोस्त ने दी है। जमीन 1 एकड़ है।

1 अन्य एकड़ एनआरआई ने अपने पास रखी है। लेकिन हम आपको बता दें कि दुनिया के मशहूर लेखक डॉ. जिल स्टुअर्ट ने अपनी किताब द मून एंड एग्जीबिशन बुक में लिखा है कि चांद पर जमीन खरीदना और किसी को गिफ्ट करना एक फैशन बन चुका है।

किसी भी देश का चांद पर कोई अधिकार नहीं है, फिर कंपनियां रजिस्ट्री कैसे कर रही हैं? यानि चांद पर जमीन बेचने का काम एक गोरखधंधा है और अब ये मिलियन डॉलर बिजनेस बन चुका है। 3 हजार रुपया एकड़ लोगों को सस्ता लगता है और इसीलिए वे चांद पर जमीन की रजिस्ट्री कराने में कोई सोच विचार नहीं करते।

अब जालंधर के युवाओं को इस बात को लेकर सचेत रहना होगा कि कुछ विदेशी ताकतें जैसे हमें नशे के जाल में फंसा चुकी हैं वैसे ही हमारी संस्कृति और सभ्याचार को खत्म करने पर तुली हुई हैं। इसके लिए लोकल लडक़ों को लुभावने ऑफर दिए जाते हैं।
चांद पर जब अधिकार ही नहीं तो रजिस्ट्री कैसे?
लुनाररजिस्ट्री.कॉम नाम की वेबसाइट चांद की रजिस्ट्री का अधिकार रखने का दावा करती है, लेकिन वेबसाइट साफ लिखती है कि वो चांद पर जमीन की मालिक नहीं है। उनका काम सिर्फ रजिस्ट्री करवाना है, ना कि जमीन बेचना।

यानि ये ठीक वैसे ही हुआ, जैसे धरती पर किसी भी जमीन की रजिस्ट्री तो आप करवा लेते हैं, लेकिन अब मालिकाना हक पर कोर्ट में सवाल उठता है तो रजिस्ट्री ऑफिस ये कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि हमारा काम सिर्फ रजिस्ट्री करना है, ना कि जमीन बेचना और ये चैक करना कि जमीन का असली मालिक कौन है। चांद पर जमीन की बिक्री गोरखधंधा है।

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